महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ? Mahatma gandhi ka janm kab hua? गांधी जी का जन्म कब हुआ था?
आज हम आपको देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ इसके बारे मे बताने वाले है। शायद आप इनके बारे मे पहले से ही जानते हो क्योंकि इनके बारे मे अक्सर हमे छोटी कक्षाओं मे पढ़ाया जाता है। फिर भी हम कई बार भूल जाते है, इसलिए आज हम आपको महात्मा गांधी का जन्म कहा हुआ था? और उनसे संबंधित बहुत सारी उपयोगी जानकारी इस लेख में देने वाले है।
भारत की आजादी की लड़ाई में गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान था इसलिए हम उन्हें राष्ट्रपिता के रूप मे संबोधित भी करते है, उन्होने आजादी की लड़ाई में बहुत से आंदोलन किए अहिंसा परमो धर्म उनका मुख्य उद्देश्य था वे सदा अपने आदर्शों पर चलते रहे।
उनका नाम सिर्फ भारत मे ही नही बाकि विदेशो में भी काफ़ी प्रचलित हुआ आज भी साउथ अफ्रीका मे उनके नाम बहुत से स्मारक और मेमोरियल है। ऐसे मे आपको इतने महान व्यक्तित्व वाले गांधी जी के बारे मे ज़रूर जानना चाहिए की महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था और लोग उन्हें महात्मा गांधी क्यों कहने लगे।
महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर (Porbander) नामक स्थान पर हुआ था। हमारे देश मे हर साल 2 अक्टूबर का दिन गांधी जयन्ती और पूरे विश्व में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था।
उनका परिवार वैष्ण्व धर्म को मानने वालो मे से था उनकी मां एक धार्मिक महिला थी जिसके कारण उनके व्यक्तित्व पर आस्था व सादगी का गहरा प्रभाऊ पड़ा था। वे अपने तीनो भाइयो में सबसे छोटे थे उनके पिता अंग्रेजो की हुकूमत के दौरान बीकानेर, पोरबंदर और राजकोट के दीवान थे।
गांधी जी के जीवन की सबसे रोचक बात ये है की उनका जन्म शुक्रवार को हुआ था और भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी। साथ ही गांधी जी की हत्या भी शुक्रवार के दिन ही हुई थी।
गांधीजी का विवाह 13 वर्ष की उम्र में ही कस्तूरबा बाई से हो गया गया था कस्तूरबा जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे। कस्तूरबा को शादी से पहले तक पढ़ना या लिखना नहीं आता था लेकिन गांधी जी ने उन्हें शिक्षित किया और वह एक आदर्श पत्नी की तरह गांधी जी के हर काम मे जीवन भर साथ देती रही।
इसके बाद सन 1887 में उन्होंने अपनी मेट्रिक की परीक्षा पास की थी जिसके बाद उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में अपना एडमिशन सन 1888 मे करवाया था। यहां से डिग्री प्राप्त करने के बाद वे लंदन law की पढ़ाई करने के लिए चले गए। जिसके बाद वह बेरिस्टर बनकर लौटे और सन 1894 में वो कानून की प्रैक्टिस करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए।
जहां उन्होंने अश्वेतों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ Disobedience Movement यानी ‘अवज्ञा आंदोलन किया जिसके बाद वो फिर सन 1916 में दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत लौट आए। और फिर देश की आज़ादी के लिए काम करना शुरू किया और इसी संदर्भ मे कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद वह सन 1920 में कांग्रेस के मार्गदर्शक बन गए।
जब जून 1893 में गांधी जी रेलगाड़ी से डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे तो साउथ अफ्रीका के पीटरमारित्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर उन्हें थर्ड क्लास डिब्बे में जाने के लिए कहा गया जब की उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था।
सिर्फ इसलिए उनके साथ ऐसा किया गया क्युकी वे दिखने मे अश्वेत थे जब गांधी जी ने थर्ड क्लास के डिब्बे मे जाने से मना कर दीया तो उन्हें चलती ट्रेन से धक्का देकर जबरदस्ती नीचे गिरा दिया गया था।
इस घटना का जिक्र करते हुए गांधी जी ने अपनी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में लिखा की उस पीटरमारित्जबर्ग स्टेशन की सर्द रात मे मुझे वेटिंग रूम में ही सोना पड़ा।
वहां पर उस भयंकर ठंड से बचने के लिए कुछ नही था, मेरे बक्से मे एक ओवरकोट भी रखा था जिसे मैं उस कड़ाके की सर्द रात मे पहन सकता था। लेकिन सिर्फ मैंने इस डर से अपना ओवरकोट नहीं पहना की वो मुझे फिर से बेइज्जत न कर दे।
इस व्याख्या ने मेरे भीतर सत्याग्रह को जन्म दिया जिसके बाद मैंने सत्याग्रह यानी अहिंसा के मार्ग पर चल कर इस भेदभाव के खिलाफ लड़ने का फैसला किया। और दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीकी और भारतीयों अश्वेतों के प्रति नस्लीय भेदभाव के विरूद्ध 1894 में अहिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू किया। जिसके बाद इस आंदोलन से वहां के हजारों लोगों के साथ मिलकर गवर्मनेट के खिलाफ आवाज उठाई।
अंग्रेजो को उनके 200 साल से अधिक हुकूमत से आजाद करवाने के लिए उन्होने बहुत सारे छोटे बड़े आंदोलन लिए। उनके अंदर बहुत अच्छी लीडरशिप क्वॉलिटी थी इसी का ही प्रभाव था की देश के करोड़ों लोग उनके पीछे खड़े रहते थे।
आजादी की लड़ाई के इस दौर में 6 ऐसे मुख्य आंदोलन किए गए थे जिसने ईस्ट इंडिया कंपनी की नीव हिलाकर रख दी थी।
और उन्हें निश्चित कीमत पर ही बेचने के लिए विवश भी कर रहे थे। जिसके बाद किसानों ने महात्मा गांधी की मदद ली और इस अहिंसात्मक आंदोलन से ब्रिटिश हुकूमत को उनकी बात मानना पड़ी।
1918 में उन्होंने खेड़ा नामक आंदोलन भी किया था। गुजरात प्रान्त में खेड़ा नामक एक गाँव है जहां बाढ़ आने के कारण किसान ब्रिटिश सरकार को टैक्स नही दे पाए। जिसके बाद किसानों ने गांधीजी से सहायता ली। इसके बाद ये ‘असहयोग (Non-cooperation)’ आंदोलन शुरू हुआ और 1918 में ब्रिटिश सरकार को आखिरकार अपने टैक्स संबंधी नियमों में किसानों को राहत देनी पड़ी।
इसके बाद महात्मा गाँधी सन 1930 में नमक पर Tax लगाने के विरुद्ध मे उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ Salt सत्याग्रह movement शुरू किया। अपने 78 स्वयं सेवकों के साथ उन्होंने साबरमती आश्रम से 24 दिनों की यात्रा करने के बाद 6 अप्रैल, 1930 को दांडी यात्रा समुद्रतट पर पहुंचकर खत्म की।
इसके बाद उनका सबसे बड़ा और आखरी मूवमेंट 1942 में शुरू हुए Quit India Movement को माना जाता है। समाज के बहुत बड़े वर्ग का मानना है की इसी आंदोलन के जनसमर्थन के कारण ‘अंग्रेज भारत छोडकर जाने पर मजबूर हो गए।
गांधी जी जब प्रथम विश्व युद्ध के दौरान साउथ अफ्रीका छोड़कर भारत वापस आए तो उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद के आश्रम में अपना जीवन व्यतीत करना शुरू किया। और उनके प्रभाव और ज्ञान के कारण बहुत से लोग उनसे जुड़ने लगे।
वे लोगो को समजिक कार्य के लिए जागरूक करते थे, गांधी जी ने उन्हें स्वतंत्र देश के आजादी का महत्व समझा कर उनके बीच जागरूकता फैलाई। साथ ही साथ ही साथ वो हमेशा सादगी के लिए खादी के वस्त्र पहनते थे।
उन्होंने बहुत सारे आंदोलन उपवास करके पूर्ण किए, जिसके कारण कई बार बिर्टिश सरकार को उनके आगे झुकना पड़ा। इन्ही सब चीजों को देखते हुए धीरे धीरे लोग उन्हें बापू और महात्मा कहने लगे। लेकिन इसके पीछे बहुत से थ्योरी हैं जैसे की कई लोगो का मानना है की गांधी जी को महात्मा का दर्जा सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने दिया था।
वही लोगो के बीच दूसरा मत ये भी है की स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे गांधी जी को महात्मा की उपाधि दी थी। वही कुछ लोग का ये कहना है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि प्रदान की थी। खैर मुख्य ये बात है की इतनी सारी कठिनाई होने के बावजूद भी उन्होंने अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा।
और हमेशा सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चल कर ही अपने सारे कार्य पूरे किए उनके यही आदर्श उन्हे महात्मा का दर्जा दिलवाने में बेहद काम आते।
गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर मे हुआ था।
उन्होंने अपने जीवन के दौर मे बहुत से फेमस पुस्तके लिखी है जैसे की Satya ke Prayog,Hind Swaraj,मेरे सपनों का भारत,Satyagraha in South Africa,Non-Violent Resistance आदि।
आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी को 13 बार ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया और उन्होंने अपने जीवन के लगभग 6 साल 5 महीने जेल में बिताए थे।
महात्मा गाँधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में स्थित बिड़ला भवन में हुई, जब नाथू राम गोडसे के द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गईं थी।
महात्मा गाँधी सदा अपने उच्च विचार और अडिग सिद्धांत पर चलने वाले व्यक्ति माने जाते थे। वे साथ सदा खादी वस्त्र धारण करतें थे और लोगो को भी स्वदेशी कपड़े अपनाने की सलाह देते थे। इन सभी आदर्शो के कारण जब 6 जुलाई 1944 को आजाद हिन्द फ़ौज के प्रमुख सुभाष चंद्र बोस ने गाँधी जी से अपने सिपाहियों के लिए आशीर्वाद और शुभकामनाये मांगी थी तब सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से सम्बोधित किया था।
महात्मा गांधी की पत्नी का नाम कस्तूर बाई मकनजी था। उनकी शादी मई 1883 में हुई थी जिनसे उन्हें चार पुत्र प्राप्त हुए हरिलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी।
भारत की आजादी की लड़ाई में गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान था इसलिए हम उन्हें राष्ट्रपिता के रूप मे संबोधित भी करते है, उन्होने आजादी की लड़ाई में बहुत से आंदोलन किए अहिंसा परमो धर्म उनका मुख्य उद्देश्य था वे सदा अपने आदर्शों पर चलते रहे।
उनका नाम सिर्फ भारत मे ही नही बाकि विदेशो में भी काफ़ी प्रचलित हुआ आज भी साउथ अफ्रीका मे उनके नाम बहुत से स्मारक और मेमोरियल है। ऐसे मे आपको इतने महान व्यक्तित्व वाले गांधी जी के बारे मे ज़रूर जानना चाहिए की महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था और लोग उन्हें महात्मा गांधी क्यों कहने लगे।
महात्मा गांधी कौन थे?
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का पूरा नाम Mohandas Karamchand Gandhi (मोहनदास करमचंद गांधी) था वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक व्यक्तित्व थे। गांधी जी बचपन से ही बुद्धिमान व्यक्ति थे इसलिए उन्होंने उस वक्त की सबसे मुश्किल प्रोफेशन मे से एक Law की पढ़ाई लंदन से पूरी करी।
पेशे से वे एक वकील बने और 1 साल से भी ज्यादा समय तक उन्होंने South Africa में अपनी औकालत की प्रैक्टिस की थी। वे non-violence यानी अहिंसा पर विश्वास करते थे उनका मानना था की लड़ाई हमेशा बात को बिगाड़ती है।
उनका मानना था हर समस्या को बातचीत और अहिंसा से अनोदलन करके सुलझाया जा सकता है यही कारण था की समाज का बहुत बड़ा हिस्सा उनके विचारों और आदर्शो से बहुत प्रेरित था।
उन्होंने अश्वेत लोगो के अधिकारों के लिए सबसे पहले अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन किया था उसके बाद वो 1915 में भारत वापस आ गये और स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी भागीदारी निभाई। सन 1921 में वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस पार्टी मे शामिल हुए ताकि वे किसानो, मजदूरों,श्रमिक लोगो के ऊपर अंग्रेजो द्वारा ज्यादा कर (टैक्स) और भेदभाव करने के विरुद्ध आवाज़ उठा सके।
इसके अलावा उन्होंने धार्मिक जाति - एकता को एक बंधन में बांधा। ताकी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हो रहे शोषण के खिलाफ जगह जगह आंदोलन करके उनको हटाया जा सके।
पेशे से वे एक वकील बने और 1 साल से भी ज्यादा समय तक उन्होंने South Africa में अपनी औकालत की प्रैक्टिस की थी। वे non-violence यानी अहिंसा पर विश्वास करते थे उनका मानना था की लड़ाई हमेशा बात को बिगाड़ती है।
उनका मानना था हर समस्या को बातचीत और अहिंसा से अनोदलन करके सुलझाया जा सकता है यही कारण था की समाज का बहुत बड़ा हिस्सा उनके विचारों और आदर्शो से बहुत प्रेरित था।
उन्होंने अश्वेत लोगो के अधिकारों के लिए सबसे पहले अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन किया था उसके बाद वो 1915 में भारत वापस आ गये और स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी भागीदारी निभाई। सन 1921 में वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस पार्टी मे शामिल हुए ताकि वे किसानो, मजदूरों,श्रमिक लोगो के ऊपर अंग्रेजो द्वारा ज्यादा कर (टैक्स) और भेदभाव करने के विरुद्ध आवाज़ उठा सके।
इसके अलावा उन्होंने धार्मिक जाति - एकता को एक बंधन में बांधा। ताकी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हो रहे शोषण के खिलाफ जगह जगह आंदोलन करके उनको हटाया जा सके।
महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था?
महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था | 2 अक्टूबर 1869 |
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महात्मा गाँधी जी का जन्म कहा हुआ था | गुजरात के पोरबंदर में |
महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम | मोहनदास करमचंद गाँधी |
महात्मा गाँधी जी की मृत्यु कब हुए थी | 30 जनवरी 1948 |
महात्मा गाँधी के माता का नाम क्या है | पुतलीबाई गांधी |
महात्मा गाँधी के पिता के नाम क्या है | करमचंद गांधी |
महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर (Porbander) नामक स्थान पर हुआ था। हमारे देश मे हर साल 2 अक्टूबर का दिन गांधी जयन्ती और पूरे विश्व में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था।
उनका परिवार वैष्ण्व धर्म को मानने वालो मे से था उनकी मां एक धार्मिक महिला थी जिसके कारण उनके व्यक्तित्व पर आस्था व सादगी का गहरा प्रभाऊ पड़ा था। वे अपने तीनो भाइयो में सबसे छोटे थे उनके पिता अंग्रेजो की हुकूमत के दौरान बीकानेर, पोरबंदर और राजकोट के दीवान थे।
गांधी जी के जीवन की सबसे रोचक बात ये है की उनका जन्म शुक्रवार को हुआ था और भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी। साथ ही गांधी जी की हत्या भी शुक्रवार के दिन ही हुई थी।
महात्मा गाँधी का शुरवाती जीवन
गांधीजी का विवाह 13 वर्ष की उम्र में ही कस्तूरबा बाई से हो गया गया था कस्तूरबा जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे। कस्तूरबा को शादी से पहले तक पढ़ना या लिखना नहीं आता था लेकिन गांधी जी ने उन्हें शिक्षित किया और वह एक आदर्श पत्नी की तरह गांधी जी के हर काम मे जीवन भर साथ देती रही।
इसके बाद सन 1887 में उन्होंने अपनी मेट्रिक की परीक्षा पास की थी जिसके बाद उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में अपना एडमिशन सन 1888 मे करवाया था। यहां से डिग्री प्राप्त करने के बाद वे लंदन law की पढ़ाई करने के लिए चले गए। जिसके बाद वह बेरिस्टर बनकर लौटे और सन 1894 में वो कानून की प्रैक्टिस करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए।
जहां उन्होंने अश्वेतों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ Disobedience Movement यानी ‘अवज्ञा आंदोलन किया जिसके बाद वो फिर सन 1916 में दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत लौट आए। और फिर देश की आज़ादी के लिए काम करना शुरू किया और इसी संदर्भ मे कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद वह सन 1920 में कांग्रेस के मार्गदर्शक बन गए।
महात्मा गाँधी ने अहिंसा का ही मार्ग क्यों अपनाया?
जब जून 1893 में गांधी जी रेलगाड़ी से डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे तो साउथ अफ्रीका के पीटरमारित्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर उन्हें थर्ड क्लास डिब्बे में जाने के लिए कहा गया जब की उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था।
सिर्फ इसलिए उनके साथ ऐसा किया गया क्युकी वे दिखने मे अश्वेत थे जब गांधी जी ने थर्ड क्लास के डिब्बे मे जाने से मना कर दीया तो उन्हें चलती ट्रेन से धक्का देकर जबरदस्ती नीचे गिरा दिया गया था।
इस घटना का जिक्र करते हुए गांधी जी ने अपनी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में लिखा की उस पीटरमारित्जबर्ग स्टेशन की सर्द रात मे मुझे वेटिंग रूम में ही सोना पड़ा।
वहां पर उस भयंकर ठंड से बचने के लिए कुछ नही था, मेरे बक्से मे एक ओवरकोट भी रखा था जिसे मैं उस कड़ाके की सर्द रात मे पहन सकता था। लेकिन सिर्फ मैंने इस डर से अपना ओवरकोट नहीं पहना की वो मुझे फिर से बेइज्जत न कर दे।
इस व्याख्या ने मेरे भीतर सत्याग्रह को जन्म दिया जिसके बाद मैंने सत्याग्रह यानी अहिंसा के मार्ग पर चल कर इस भेदभाव के खिलाफ लड़ने का फैसला किया। और दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीकी और भारतीयों अश्वेतों के प्रति नस्लीय भेदभाव के विरूद्ध 1894 में अहिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू किया। जिसके बाद इस आंदोलन से वहां के हजारों लोगों के साथ मिलकर गवर्मनेट के खिलाफ आवाज उठाई।
महात्मा गाँधी के आजादी का संघर्ष और उनसे जुड़े सभी आंदोलन
अंग्रेजो को उनके 200 साल से अधिक हुकूमत से आजाद करवाने के लिए उन्होने बहुत सारे छोटे बड़े आंदोलन लिए। उनके अंदर बहुत अच्छी लीडरशिप क्वॉलिटी थी इसी का ही प्रभाव था की देश के करोड़ों लोग उनके पीछे खड़े रहते थे।
आजादी की लड़ाई के इस दौर में 6 ऐसे मुख्य आंदोलन किए गए थे जिसने ईस्ट इंडिया कंपनी की नीव हिलाकर रख दी थी।
- Champaran (1917),
- खेड़ा सत्याग्रह (1918)
- Non-Cooperation Movement (1920)
- Salt सत्याग्रह movement (1930)
- Khilafat Movement (1919)
- Quit India Movement (1942)
और उन्हें निश्चित कीमत पर ही बेचने के लिए विवश भी कर रहे थे। जिसके बाद किसानों ने महात्मा गांधी की मदद ली और इस अहिंसात्मक आंदोलन से ब्रिटिश हुकूमत को उनकी बात मानना पड़ी।
1918 में उन्होंने खेड़ा नामक आंदोलन भी किया था। गुजरात प्रान्त में खेड़ा नामक एक गाँव है जहां बाढ़ आने के कारण किसान ब्रिटिश सरकार को टैक्स नही दे पाए। जिसके बाद किसानों ने गांधीजी से सहायता ली। इसके बाद ये ‘असहयोग (Non-cooperation)’ आंदोलन शुरू हुआ और 1918 में ब्रिटिश सरकार को आखिरकार अपने टैक्स संबंधी नियमों में किसानों को राहत देनी पड़ी।
इसके बाद महात्मा गाँधी सन 1930 में नमक पर Tax लगाने के विरुद्ध मे उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ Salt सत्याग्रह movement शुरू किया। अपने 78 स्वयं सेवकों के साथ उन्होंने साबरमती आश्रम से 24 दिनों की यात्रा करने के बाद 6 अप्रैल, 1930 को दांडी यात्रा समुद्रतट पर पहुंचकर खत्म की।
इसके बाद उनका सबसे बड़ा और आखरी मूवमेंट 1942 में शुरू हुए Quit India Movement को माना जाता है। समाज के बहुत बड़े वर्ग का मानना है की इसी आंदोलन के जनसमर्थन के कारण ‘अंग्रेज भारत छोडकर जाने पर मजबूर हो गए।
गांधीजी जी को लोग महात्मा गांधी क्यों कहने लगे?
गांधी जी जब प्रथम विश्व युद्ध के दौरान साउथ अफ्रीका छोड़कर भारत वापस आए तो उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद के आश्रम में अपना जीवन व्यतीत करना शुरू किया। और उनके प्रभाव और ज्ञान के कारण बहुत से लोग उनसे जुड़ने लगे।
वे लोगो को समजिक कार्य के लिए जागरूक करते थे, गांधी जी ने उन्हें स्वतंत्र देश के आजादी का महत्व समझा कर उनके बीच जागरूकता फैलाई। साथ ही साथ ही साथ वो हमेशा सादगी के लिए खादी के वस्त्र पहनते थे।
उन्होंने बहुत सारे आंदोलन उपवास करके पूर्ण किए, जिसके कारण कई बार बिर्टिश सरकार को उनके आगे झुकना पड़ा। इन्ही सब चीजों को देखते हुए धीरे धीरे लोग उन्हें बापू और महात्मा कहने लगे। लेकिन इसके पीछे बहुत से थ्योरी हैं जैसे की कई लोगो का मानना है की गांधी जी को महात्मा का दर्जा सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने दिया था।
वही लोगो के बीच दूसरा मत ये भी है की स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे गांधी जी को महात्मा की उपाधि दी थी। वही कुछ लोग का ये कहना है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि प्रदान की थी। खैर मुख्य ये बात है की इतनी सारी कठिनाई होने के बावजूद भी उन्होंने अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा।
और हमेशा सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चल कर ही अपने सारे कार्य पूरे किए उनके यही आदर्श उन्हे महात्मा का दर्जा दिलवाने में बेहद काम आते।
गांधीजी से जुड़े कुछ अन्य रोचक बातें
- महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का ख़िताब यानी Father of Nation की उपाधी भारत की सरकार या भारत के संविधान ने नही दी थी। बल्कि सुभाषचंद्र बोस ने उन्हें राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।
- जब गांधीजी की हत्या स्वतंत्र भारत में एक वर्ष के भीतर ही नाथू राम गोडसे के द्वारा कर दी गई, तब उस समय के एक बड़े अंग्रेजी ऑफिसर ने कहा कि जिस गांधी को हमने इतने सालो तक इसलिए कुछ नहीं होने दिया ताकि भारत का माहौल हमारे खिलाफ न हो जाए वही गांधी इस आजाद मुल्क में थोड़े समय भी नही जी सके।
- गांधीजी ने देश विदेश में बहुत आश्रमों की स्थापना की, जिसमें भारत मे सबसे प्रसिद्द साबरमती आश्रम हुआ और विदेश मे टॉलस्टॉय आश्रम शामिल था।
- महात्मा गांधी जी को मानने वाले कुछ प्रमुख लोगे के नाम थे अल्बर्ट आइंस्टीन,मार्टिन लूथर किंग, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद,विनोबा भावे,सरोजिनी नायडू, नेल्सन मंडेला आदि।
- महात्मा गाँधी ने देश में लोगो को सफाई के महत्व के बारे मे बहुत ही प्रेरित किया साथ ही उन्होने देसी चीज़ो (Indian products) के उपयोग को प्राथमिकता देने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
Frequently Asked Questions (FAQs);
Q1. महात्मा गाँधी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर मे हुआ था।
Q2. महात्मा गांधी ने कौन कौन सी पुस्तक लिखी है?
उन्होंने अपने जीवन के दौर मे बहुत से फेमस पुस्तके लिखी है जैसे की Satya ke Prayog,Hind Swaraj,मेरे सपनों का भारत,Satyagraha in South Africa,Non-Violent Resistance आदि।
Q3. गांधी जी कितनी बार जेल गए थे?
आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी को 13 बार ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया और उन्होंने अपने जीवन के लगभग 6 साल 5 महीने जेल में बिताए थे।
Q4. महात्मा गाँधी जी की मृत्यु कब और कैसे हुए थी
महात्मा गाँधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में स्थित बिड़ला भवन में हुई, जब नाथू राम गोडसे के द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गईं थी।
Q5. महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता कहकर क्यों संबोधित करते है?
महात्मा गाँधी सदा अपने उच्च विचार और अडिग सिद्धांत पर चलने वाले व्यक्ति माने जाते थे। वे साथ सदा खादी वस्त्र धारण करतें थे और लोगो को भी स्वदेशी कपड़े अपनाने की सलाह देते थे। इन सभी आदर्शो के कारण जब 6 जुलाई 1944 को आजाद हिन्द फ़ौज के प्रमुख सुभाष चंद्र बोस ने गाँधी जी से अपने सिपाहियों के लिए आशीर्वाद और शुभकामनाये मांगी थी तब सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से सम्बोधित किया था।
Q6. महात्मा गांधी की पत्नी कौन थीं?
महात्मा गांधी की पत्नी का नाम कस्तूर बाई मकनजी था। उनकी शादी मई 1883 में हुई थी जिनसे उन्हें चार पुत्र प्राप्त हुए हरिलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी।
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