होली क्यों मनाई जाती है? Holi Kab Hai? Holi kitne tarikh ko hai? होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है? होली का इतिहास
नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सब, आशा करता हूं कि आप ठीक होंगे और अपने परिवार के साथ स्वस्थ होंगे, आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि होली क्यों मनाई जाती है और Holi कब है?
इसके साथ-साथ हम और भी बहुत सी चीजों के बारे में जानेंगे जैसे कि होली के त्योहार का क्या इतिहास है? रंगों से होली क्यों मनाते हैं?
दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में होली का त्योहार / Holi kitne tarikh ko hai इसके ऊपर विस्तार से चर्चा करेंगे, इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको बहुत ही आनंद आने वाला है, इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िएगा।
तो चलिए दोस्तों वक्त जाया ना करते हुए आर्टिकल को जल्दी से जल्दी शुरू करते हैं और जान लेते हैं कि आखिर होली का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है?
दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में होली का त्योहार / Holi kitne tarikh ko hai इसके ऊपर विस्तार से चर्चा करेंगे, इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको बहुत ही आनंद आने वाला है, इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िएगा।
तो चलिए दोस्तों वक्त जाया ना करते हुए आर्टिकल को जल्दी से जल्दी शुरू करते हैं और जान लेते हैं कि आखिर होली का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है?
उम्मीद करता हूं कि आपको हमारा यह आर्टिकल जरूर पसंद आएगा।
होली का त्यौहार "रंगों का त्यौहार" के नाम से भी जाना जाता है, यह त्यौहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग और पानी बरसाते हैं, संगीत और ढोल नगाड़ों के बीच लोग झूमते हैं, नाचते हैं, गाते हैं।
भारत के प्रत्येक त्यौहार की तरह होली भी बुराई के ऊपर अच्छाई की जीता का प्रतीक है, प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार होली का त्यौहार प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी से जुड़ा हुआ है।
होली प्रमुख त्योहारों में से एक है, बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही होली का इंतजार शुरू हो जाता है, साल 2022 में 17 मार्च, गुरुवार के दिन होलिका दहन और 18 मार्च को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाएगी।
दोस्तों हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था, वह बिल्कुल राक्षस की तरह ही था, उसके छोटे भाई को भगवान विष्णु ने मार दिया था इसलिए वह अपने छोटे भाई का बदला लेना चाहता था, इसके लिए उसने कई सालों तक प्रार्थना की ताकि वह और भी शक्तिशाली हो सके, उसकी कड़ी मेहनत और लगन के कारण अंत में उसे भगवान ब्रह्मा द्वारा उसका मनचाहा वरदान मिल भी गया।
लेकिन वरदान मिलने के बाद वह अपने आप को भगवान समझने लग गया था, और लोगों से भगवान की बजाय उसे पूजने के लिए मजबूर करने लग गया, हिरण्यकश्यप का एक बेटा भी था, उसका नाम प्रहलाद था, वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा (परम भक्त) था, उसने अपने पिता की बात कभी नहीं मानी और सदैव भगवान विष्णु को पूजा-अर्चना करता रहा।
जब प्रहलाद ने उसकी बात बात नहीं मानी तो वह अत्यंत क्रोधित हो गया और उसने प्रहलाद को मारने का फैसला कर लिया, प्रहलाद को मारने के लिए उसने बहुत बार प्रयत्न किया लेकिन वह अपनी मंशा में सदैव असफल रहा, अंत में उसने अपनी बहन होलिका से प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठने के लिए कहा।
हिरण्यकश्यप को लगा की होलिका तो आग में जलेगी नहीं और प्रहलाद का अंत हो जाएगा, लेकिन उनकी प्रहलाद को मारने की योजना असफल हो गई, क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हो सका, और होलिका आग में जलाकर खाक हो गई, होलिका की यह हार बुराई की हर का प्रतीक है और प्रहलाद की परम भक्ति जीत का प्रतीक है।
होलिका के अंत के बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का भी अंत कर दिया था, और प्रहलाद को अपने गले लगाया, तो दोस्तों इस प्रकार होली का त्यौहार प्रहलाद और होलिका से जुड़ा हुआ है, इसके चलते भारत के प्रत्येक राज्य में होली के ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह कहानी भगवान विष्णु के अवतार से लेकर भगवान कृष्ण के अवतार तक जाती है, मान्यता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली का त्यौहार मनाया करते थे, इसलिए होली का त्यौहार रंगों के त्योहार के रूप में लोकप्रिय हो गया।
भगवान कृष्ण वृंदावन और गोकुल में अपने दोस्तों के साथ होली मनाया करते थे, वह बहुत ही शरारती थे तथा पूरे गांव में अपनी मजाक भरी शैतानियों के चर्चाओं में रहते थे, आज के समय भी वृंदावन जैसी होली कहीं देखने को नहीं मिलती।
दोस्तों होली वसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दियां समाप्त हो जाती हैं, कुछ जगहों पर होली का संबंध वसंत की फसल पकने से भी है, किसान अच्छी फसल पैदा होने की खुशी में होली का त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं, होली को 'काम महोत्सव' या 'वसंत महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है।
होली भारत के प्राचीन त्यौहारों में से एक है, यह त्यौहार ईसा मसीहा के जन्म से भी कई सालों पहले से ही मनाया जा रहा है, होली का वर्णन कथक ग्रहय सूत्र और पूर्व मीमांसा सूत्र में भी देखने को मिलता है।
भारत के प्राचीन मंदिरों पर भी होली की मूर्तियां बनी हुई हैं, 16वीं सदी का एक ऐसा ही मंदिर विजयनगर की राजधानी हंपी में मौजूद है, इस मंदिर में होली के कई दृश्य देखने को मिलते हैं जिनमें राजकुमार-राजकुमारी अपने दास-दासियों के साथ एक दूसरे पर रंग लगाते दिखाई दे रहे हैं।
पहले के समय होली के रंग पलाश या टेशू के फूलों से बनाए जाते थे, उन्हें गुलाल कहा जाता था, वह रंग त्वचा के लिए बिल्कुल ठीक होते थे, लेकिन आज के समय में रंग के नाम पर कठोर रसायन (केमिकल्स) बेचे जा रहे हैं, इन खराब रंगों की वजह से ही कई लोगों ने होली खेलना छोड़ दिया है, हमे हमारे इस पवित्र त्यौहार को अच्छे व सच्चे रंगों से ही मनाना चाहिए।
होली का पावन त्यौहार मात्र एक दिन का त्यौहार नहीं है बल्कि यह तीन दिनों तक मनाया जाता है।
दिन 1:- पूर्णिमा के दिन रंगों को एक थाली में सजाया जाता है, और परिवार का सबसे बड़ा सदस्य बाकी सदस्यों पर रंग छिड़कता है।
दिन 2:- इसे 'पूनो' के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन होलिका के चित्र जलाकर, होलिका और प्रहलाद की याद में होलिका दहन किया जाता है, अग्निदेवता का आशीर्वाद लेने के लिए मां अपने बच्चों के साथ होली के पांच चक्कर लगाती है।
दिन 3:- इस दिन को 'पर्व' भी कहा जाता है, यह दिन होली के उत्सव का अंतिम दिन होता है, इस दिन एक एक दूसरे पर पानी और रंग डाला जाता है, भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों पर रंग लगाकर पूजा-अर्चना की जाती है।
होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, होली त्यौहार की परंपराएं भी अत्यंत ही प्राचीन हैं, प्राचीन काल में विवाहित महिलाओं द्वारा परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूर्ण चंद्र की पूजा करने की परंपरा थी, वैदिक काल में इस त्यौहार को नवात्रेस्ष्टि यज्ञ भी जाता था, उस समय खेत के अधपक्के अन्न को यज्ञ में दान करने के बाद प्रसाद लिया जाता था।
वर्तमान समय में होली के दिन लकड़ियों और उपलों के मेल से होलिका दहन किया जाता है, घरों में अच्छे-अच्छे पकवान बनाए जाते हैं, लोग आपस में एक दूसरे से गले मिलते हैं, बच्चे आपस में पिचकारियों और गुब्बारों से खेलते हैं, आपस में मिठाइयां बांटी जाती है, लोगों के घरों में देर रात तक गीत और भजन गाए जाते हैं, यह त्यौहार अच्छाई और सच्चाई की जीत का प्रतीक है।
सबसे अच्छा तरीका तो यही है कि होली मनाने से पहले आपको अपने शरीर को पहले से ही moisturise कर लेना चाहिए, ऐसा करने पर कोई भी रंग आपके शरीर पर stick नहीं करेगा।
होली के बारे में लोगों के मन में बहुत से सवाल आते हैं, और वह इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए इंटरनेट पर सर्च करते रहते हैं।
भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद के सम्मान में यह त्योहार मनाया जाता है।
होली का हमारे जीवन में बहुत ही अधिक महत्व है, यह त्यौहार हमें यह सीख देता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत हमेशा ही होती आई है और होती रहेगी।
होलिका की मां का नाम दिती था।
होलिका के पिता जी का नाम कश्यप ऋषि था।
होली का त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
होलिका का दूसरा नाम हरिद्रोही / हरदोई था।
होली शब्द का अर्थ होता है 'पवित्रता', मनुष्य को अपने जीवन में सबसे अधिक महत्व पवित्रता को ही देना चाहिए।
होली के पावन त्यौहार के दिन हर घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जैसे कि खीर, हलवा, मिठाइयां, बादाम, पूरन पोली, भांग पकोड़ा आदि।
यह भी पढ़े...
तो दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा यह आर्टिकल, इस आर्टिकल में हमने जाना कि होली क्यों मनाई जाती है और Holi कब है?
होली कब मनाई जाती है यानि की Holi Kab Hai?
होली का त्यौहार "रंगों का त्यौहार" के नाम से भी जाना जाता है, यह त्यौहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग और पानी बरसाते हैं, संगीत और ढोल नगाड़ों के बीच लोग झूमते हैं, नाचते हैं, गाते हैं।
भारत के प्रत्येक त्यौहार की तरह होली भी बुराई के ऊपर अच्छाई की जीता का प्रतीक है, प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार होली का त्यौहार प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी से जुड़ा हुआ है।
होली प्रमुख त्योहारों में से एक है, बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही होली का इंतजार शुरू हो जाता है, साल 2022 में 17 मार्च, गुरुवार के दिन होलिका दहन और 18 मार्च को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाएगी।
होली क्यों मनाई जाती है? होली का इतिहास? होलिका दहन की कहानी
दोस्तों हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था, वह बिल्कुल राक्षस की तरह ही था, उसके छोटे भाई को भगवान विष्णु ने मार दिया था इसलिए वह अपने छोटे भाई का बदला लेना चाहता था, इसके लिए उसने कई सालों तक प्रार्थना की ताकि वह और भी शक्तिशाली हो सके, उसकी कड़ी मेहनत और लगन के कारण अंत में उसे भगवान ब्रह्मा द्वारा उसका मनचाहा वरदान मिल भी गया।
लेकिन वरदान मिलने के बाद वह अपने आप को भगवान समझने लग गया था, और लोगों से भगवान की बजाय उसे पूजने के लिए मजबूर करने लग गया, हिरण्यकश्यप का एक बेटा भी था, उसका नाम प्रहलाद था, वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा (परम भक्त) था, उसने अपने पिता की बात कभी नहीं मानी और सदैव भगवान विष्णु को पूजा-अर्चना करता रहा।
जब प्रहलाद ने उसकी बात बात नहीं मानी तो वह अत्यंत क्रोधित हो गया और उसने प्रहलाद को मारने का फैसला कर लिया, प्रहलाद को मारने के लिए उसने बहुत बार प्रयत्न किया लेकिन वह अपनी मंशा में सदैव असफल रहा, अंत में उसने अपनी बहन होलिका से प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठने के लिए कहा।
हिरण्यकश्यप को लगा की होलिका तो आग में जलेगी नहीं और प्रहलाद का अंत हो जाएगा, लेकिन उनकी प्रहलाद को मारने की योजना असफल हो गई, क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हो सका, और होलिका आग में जलाकर खाक हो गई, होलिका की यह हार बुराई की हर का प्रतीक है और प्रहलाद की परम भक्ति जीत का प्रतीक है।
होलिका के अंत के बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का भी अंत कर दिया था, और प्रहलाद को अपने गले लगाया, तो दोस्तों इस प्रकार होली का त्यौहार प्रहलाद और होलिका से जुड़ा हुआ है, इसके चलते भारत के प्रत्येक राज्य में होली के ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
रंग से होली क्यों मनाई जाने लगी?
दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह कहानी भगवान विष्णु के अवतार से लेकर भगवान कृष्ण के अवतार तक जाती है, मान्यता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली का त्यौहार मनाया करते थे, इसलिए होली का त्यौहार रंगों के त्योहार के रूप में लोकप्रिय हो गया।
भगवान कृष्ण वृंदावन और गोकुल में अपने दोस्तों के साथ होली मनाया करते थे, वह बहुत ही शरारती थे तथा पूरे गांव में अपनी मजाक भरी शैतानियों के चर्चाओं में रहते थे, आज के समय भी वृंदावन जैसी होली कहीं देखने को नहीं मिलती।
दोस्तों होली वसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दियां समाप्त हो जाती हैं, कुछ जगहों पर होली का संबंध वसंत की फसल पकने से भी है, किसान अच्छी फसल पैदा होने की खुशी में होली का त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं, होली को 'काम महोत्सव' या 'वसंत महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है।
प्राचीन त्योहार होली
होली भारत के प्राचीन त्यौहारों में से एक है, यह त्यौहार ईसा मसीहा के जन्म से भी कई सालों पहले से ही मनाया जा रहा है, होली का वर्णन कथक ग्रहय सूत्र और पूर्व मीमांसा सूत्र में भी देखने को मिलता है।
भारत के प्राचीन मंदिरों पर भी होली की मूर्तियां बनी हुई हैं, 16वीं सदी का एक ऐसा ही मंदिर विजयनगर की राजधानी हंपी में मौजूद है, इस मंदिर में होली के कई दृश्य देखने को मिलते हैं जिनमें राजकुमार-राजकुमारी अपने दास-दासियों के साथ एक दूसरे पर रंग लगाते दिखाई दे रहे हैं।
होली के रंग
पहले के समय होली के रंग पलाश या टेशू के फूलों से बनाए जाते थे, उन्हें गुलाल कहा जाता था, वह रंग त्वचा के लिए बिल्कुल ठीक होते थे, लेकिन आज के समय में रंग के नाम पर कठोर रसायन (केमिकल्स) बेचे जा रहे हैं, इन खराब रंगों की वजह से ही कई लोगों ने होली खेलना छोड़ दिया है, हमे हमारे इस पवित्र त्यौहार को अच्छे व सच्चे रंगों से ही मनाना चाहिए।
होली का उत्सव
होली का पावन त्यौहार मात्र एक दिन का त्यौहार नहीं है बल्कि यह तीन दिनों तक मनाया जाता है।
दिन 1:- पूर्णिमा के दिन रंगों को एक थाली में सजाया जाता है, और परिवार का सबसे बड़ा सदस्य बाकी सदस्यों पर रंग छिड़कता है।
दिन 2:- इसे 'पूनो' के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन होलिका के चित्र जलाकर, होलिका और प्रहलाद की याद में होलिका दहन किया जाता है, अग्निदेवता का आशीर्वाद लेने के लिए मां अपने बच्चों के साथ होली के पांच चक्कर लगाती है।
दिन 3:- इस दिन को 'पर्व' भी कहा जाता है, यह दिन होली के उत्सव का अंतिम दिन होता है, इस दिन एक एक दूसरे पर पानी और रंग डाला जाता है, भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों पर रंग लगाकर पूजा-अर्चना की जाती है।
होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, होली त्यौहार की परंपराएं भी अत्यंत ही प्राचीन हैं, प्राचीन काल में विवाहित महिलाओं द्वारा परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूर्ण चंद्र की पूजा करने की परंपरा थी, वैदिक काल में इस त्यौहार को नवात्रेस्ष्टि यज्ञ भी जाता था, उस समय खेत के अधपक्के अन्न को यज्ञ में दान करने के बाद प्रसाद लिया जाता था।
वर्तमान समय में होली के दिन लकड़ियों और उपलों के मेल से होलिका दहन किया जाता है, घरों में अच्छे-अच्छे पकवान बनाए जाते हैं, लोग आपस में एक दूसरे से गले मिलते हैं, बच्चे आपस में पिचकारियों और गुब्बारों से खेलते हैं, आपस में मिठाइयां बांटी जाती है, लोगों के घरों में देर रात तक गीत और भजन गाए जाते हैं, यह त्यौहार अच्छाई और सच्चाई की जीत का प्रतीक है।
होली के दिन सावधानी बरतें
- Holi के दिन नेचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का ही प्रयोग करें जैसे कि फूड डाई।
- इस दिन आप ऐसे कपड़े पहनें जिससे आपका पूरा शरीर ढक जाए, ताकि जब भी कोई दूसरा व्यक्ति आपके ऊपर केमिकल्स वाले रंग लगाए तब आपकी त्वचा इससे खराब न हो पाए।
- अपने चेहरे बाल और शरीर पर किसी भी प्रकार का तेल अवश्य लगाएं ताकि आप जब नहाएं तो रंग आसानी से छूट जाए।
- होली के दिन रंगों से खेलने पर अगर आपको किसी भी प्रकार की परेशानी महसूस हो तो तो अस्पताल जाकर अपना इलाज अवश्य करवा लें।
- अगर कोई व्यक्ति अस्थमा पीड़ित है तो रंगों से खेलते वक्त मास्क का प्रयोग अवश्य करें, और हो सके तो उसे रंगों से दूर ही रहना चाहिए।
- रंगों से खेलते वक्त आप सिर पर टोपी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि आपके बालों को कोई नुकसान न पहुंचे।
होली के दिन आपको क्या नहीं करना चाहिए?
- Synthetic रंग और Chemicals से बने रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- होली का त्यौहार अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाना चाहिए और अजनबियों से दूर रहें।
- रंगों को किसी भी व्यक्ति के आंख, कान, नाक, मुह में नहीं डालना चाहिए।
- Eczema से पीड़ित व्यक्तियों को रंगों से दूर ही रहना चाहिए।
- सस्ते चाइनीस रंगों का इस्तेमाल ना करें क्योंकि यह आपकी त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होते हैं।
- रंगों को किसी भी व्यक्ति के ऊपर जबरदस्ती से नहीं डालना चाहिए।
- जानवरों के ऊपर के रंगों का प्रयोग ना करें।
रंगों को अपने शरीर से कैसे मिटाएं?
सबसे अच्छा तरीका तो यही है कि होली मनाने से पहले आपको अपने शरीर को पहले से ही moisturise कर लेना चाहिए, ऐसा करने पर कोई भी रंग आपके शरीर पर stick नहीं करेगा।
बाद में आप नहाते वक्त बड़ी ही आसानी से रंगों को मिटा सकते हैं।
अपने बालों के बचाव के लिए भी आप उन पर तेल लगाकर होली खेल सकते हैं, होली खेलते वक्त आपको ऑर्गेनिक कलर्स का ही प्रयोग करना चाहिए।
अपने बालों के बचाव के लिए भी आप उन पर तेल लगाकर होली खेल सकते हैं, होली खेलते वक्त आपको ऑर्गेनिक कलर्स का ही प्रयोग करना चाहिए।
जैसे कि फूड डाई, सूखे रंगों का ही प्रयोग करें ताकि बाद में उन्हें बड़ी ही आसानी से झाड़ा जा सके।
होली कब है यानि Holi कितने तारीख को है जाने वीडियो में;
होली के त्यौहार से जुड़े कुछ अन्य सवाल FAQs;
होली के बारे में लोगों के मन में बहुत से सवाल आते हैं, और वह इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए इंटरनेट पर सर्च करते रहते हैं।
होली से जुड़े हुए कुछ मुख्य सवाल जिनका जवाब लोग जानने के इच्छुक रहते हैं वह कुछ इस प्रकार हैं -
Holi क्यों मनाई जाती है?
भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद के सम्मान में यह त्योहार मनाया जाता है।
Holi Kitne Tarikh Ko Hai?
2022 में 17 मार्च, गुरुवार के दिन होलिका दहन और 18 मार्च को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाएगी
होली का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
होली का हमारे जीवन में बहुत ही अधिक महत्व है, यह त्यौहार हमें यह सीख देता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत हमेशा ही होती आई है और होती रहेगी।
होलिका की मां का नाम क्या था?
होलिका की मां का नाम दिती था।
होलिका के पिता का क्या नाम था?
होलिका के पिता जी का नाम कश्यप ऋषि था।
होली कौन से महीने में मनाई जाती है?
होली का त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
होलिका का दूसरा नाम क्या था?
होलिका का दूसरा नाम हरिद्रोही / हरदोई था।
होली का अर्थ क्या है?
होली शब्द का अर्थ होता है 'पवित्रता', मनुष्य को अपने जीवन में सबसे अधिक महत्व पवित्रता को ही देना चाहिए।
होली पर कौन-कौन से पकवान बनाए जाते हैं?
होली के पावन त्यौहार के दिन हर घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जैसे कि खीर, हलवा, मिठाइयां, बादाम, पूरन पोली, भांग पकोड़ा आदि।
यह भी पढ़े...
आज हमने क्या जाना?
तो दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा यह आर्टिकल, इस आर्टिकल में हमने जाना कि होली क्यों मनाई जाती है और Holi कब है?
आशा करता हूं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा, दोस्तों हमारा हमेशा से यही प्रयास रहता है कि हम आपके सामने संपूर्ण और सही जानकारी विस्तारपूर्वक तरीके से पेश कर पाएं।
और आप जो जानकारी जानना चाहते हैं वह जानकारी आपको प्राप्त हो जाए।
अगर आपको अभी भी कुछ समझ नहीं आया है।
अगर आपको अभी भी कुछ समझ नहीं आया है।
या आप होली (Holi) से संबंधित या कुछ और जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप आर्टिकल के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ भी सकते हैं, हम आपके कमेंट का जवाब जल्द ही देंगे।
अगर आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों और करीबियों के साथ जरूर शेयर करना, आज के लिए इतना काफी रहेगा, जल्द ही मिलते हैं किसी नए आर्टिकल में नए टॉपिक के ऊपर।
अगर आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों और करीबियों के साथ जरूर शेयर करना, आज के लिए इतना काफी रहेगा, जल्द ही मिलते हैं किसी नए आर्टिकल में नए टॉपिक के ऊपर।
COMMENTS