भाषा किसे कहते हैं? भाषा की परिभाषा क्या है? लिखित भाषा किसे कहते हैं? मौखिक भाषा किसे कहते हैं? सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं?
नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सब, आशा करता हूं आप ठीक होंगे और अपने परिवार के साथ स्वस्थ होंगे, आज के इस आर्टिकल में हम भाषा किसे कहते हैं (Bhasha Kise Kahte Hai) के बारे में जानेंगे, इसके साथ-साथ हम और भी बहुत सी चीजों के बारे में जानेंगे जैसे कि भाषा की क्या परिभाषा होती है? भाषा कितने प्रकार की होती है? बोली और भाषा में क्या अंतर है? यह हिंदी व्याकरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, जिसके बारे में हर एक विद्यार्थी को जानना चाहिए।
आज हम इस आर्टिकल में Bhasha in Hindi के बारे में अच्छे से जानेंगे और इसके ऊपर विस्तार से चर्चा करेंगे।
दोस्तों इस आर्टिकल को पढ़कर आपको बहुत ही आनंद आने वाला है, इसलिए आर्टिकल को आखिर तक ध्यान से पढ़िएगा, तो चलिए दोस्तों वक्त बर्बाद न करते हुए आर्टिकल को जल्दी से जल्दी शुरू करते हैं और देख लेते हैं कि भाषा किसे कहते हैं, bhasha kise kahte hain hindi? उम्मीद करता हूं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आएगा।
किसी भाषा को शुद्ध तरीके से बोलना, लिखना, समझना व्याकरण कहलाता है, सभी भाषाओं का अलग प्रकार का व्याकरण होता है, जिसे सामने के बाद हम उस भाषा को बड़े ही आसान तारीक से लिख, बोल, और समझ पाते हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो हिंदी भाषा को शुद्ध रूप से बोलने और लिखने संबंधी नियमों के बोध कराने वाले शास्त्र को व्याकरण कहते हैं।
दोस्तों अगर आप भी भाषा (Bhasha In Hindi) जानने के इच्छुक हैं तो आपको बता दें कि भाषा एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों या विचारों को दूसरों के सामने बोलकर, लिखकर, सुनकर, या पढ़कर प्रकट करता है।
हम विचारों का आदान-प्रदान केवल भाषा के जरिए ही कर सकते हैं।
भाषा सार्थक ध्वनियों के मेल-जोल से बनती है।
भाषा का प्रयोग केवल मनुष्य ही कर सकता है, अन्य प्राणी इस बेहद ही अनमोल विशेषता से वंचित हैं।
जैसे:- मान लीजिए, आपको एक कप चाय की जरूरत है, इस भाव, इच्छा, या विचार को तीन रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित या कथित रूप से समझा सकें, और दूसरों के भावों को समझ, उसे भाषा कहा जाता है।
सरल शब्दों में: आमतौर पर मनुष्य की सार्थक व्यक्त वाणी को भाषा कहते हैं।
डॉ श्यामसुंदरदास के अनुसार: मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति का आदान-प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि-संकेतों का जो व्यवहार होता है,उसे भाषा कहते हैं।
भाषा के तीन रूप होते हैं:-
भाषा का वह रूप जिसमे व्यक्ति अपने विचारों को बोलकर प्रकट करता है, और सामने वाला व्यक्ति उसे सुनकर समझता है, वह मौखिक भाषा कहलाती है, यानी वक्त तो अपनी बात बोलकर प्रकट करता है, और श्रोता सुनकर उसकी बात को समझता है। इसके अंतर्गत रेडियो, टेलीफोन, भाषण, वार्तालाप, नाटक आदि आते हैं।
उदाहरण: स्कूल में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, प्रतियोगिता में वक्ताओं ने अपने विचारों को बोलकर प्रकट किया, और श्रोताओं ने उन विचारों को सुनकर आनंद उठाया।
यह भाषा का सबसे प्राचीनतम रूप माना जाता है, और मौखिक भाषा की प्रमुख विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-
(1) मौखिक भाषा उच्चरित होने के साथ ही समाप्त हो जाती है।
(2) इस भाषा की मूल इकाई 'ध्वनि' है, अलग-अलग ध्वनियों के संयोग से शब्द बनते हैं, जिनका प्रयोग वाक्यों में वार्तालाप के खातिर किया जाता है।
(3) इस भाषा का प्रयोग तभी होता है जब वक्ता और श्रोता एक दूसरे के सामने हों।
(4) मौखिक भाषा को भाषा का मूल या प्रधान रूप भी कहा जाता है।
(5) यह भाषा का अस्थायी रूप होता है।
भाषा के जिस माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों को लिखकर प्रकट करता है, और दूसरे लोग इन्हें पढ़कर समझते हैं, वह लिखित भाषा कहलाती है, इस भाषा को समझने के लिए पढ़ना-लिखना आना चाहिए, हम आमतौर पर इस भाषा का प्रयोग पढ़ने-लिखने या कोई खत (पत्र) लिखने के लिए करते हैं, इसके अंतर्गत- पत्र, लेखिका, कहानी, समाचार-पत्र, जीवनी, संस्मरण आदि आते हैं।
उदाहरण: राहुल एक कॉलेज विद्यार्थी है और वह छात्रावास में रहता है, उसने अपने माता-पिता को पत्र लिखकर अपनी कुशलता आवश्यकताओं की जानकारी दी, फिर माता-पिता ने पत्र पढ़कर अपने बेटे द्वारा भेजी गई जानकारी को प्राप्त किया, यह भाषा का लिखित रूप होता है।
(1) यह भाषा का गौण और स्थायी रूप है।
(2) यह भाषा का एक ऐसा रूप है जिसमें हम अपने विचारों को अनंत काल तक सुरक्षित रख सकते हैं।
(3) भाषा के इस रूप में यह जरूरी नहीं होता कि वक्ता और श्रोता एक दूसरे के आमने सामने हो।
(4) लिखित भाषा की मूल इकाई 'वर्ण' है।
अगर किसी व्यक्ति को पढ़ना-लिखना नहीं आता है (लिखित भाषा के रूप में) फिर भी हम यह नहीं कह सकते हैं कि उसे वह भाषा नहीं आती है।
और अगर किसी व्यक्ति को कोई भाषा की जानकारी है, इसका मतलब होता है कि वह उस भाषा को सुनकर समझ सकता है, और बोल कर अपनी बात को सामने वाले के प्रति प्रकट कर सकता है।
भाषा के जिस माध्यम से हम अपने विचारों को इशारों (संकेतों) के जरिए दूसरे व्यक्ति के सामने प्रकट करते हैं, उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं, इस भाषा का प्रयोग उन लोगों के द्वारा किया जाता है जब बोल और सुन नहीं सकते हैं, सांकेतिक भाषा सर्वग्राह्य भाषा नहीं है, इसलिए व्याकरण में इसका अध्ययन भी नहीं किया जाता है।
जब संकेतों (इशारों) द्वारा बात समझाई और समझी जाए, तब उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं।
उदाहरण: सड़क पर यातायात नियंत्रित कर रहा सिपाही, मूक-बधिर व्यक्तियों की बातचीत।
बोली और भाषा में यही अंतर होता है की 'भाषा' का क्षेत्र व्यापक होता है, भाषा मैं मौखिक और लिखित दोनों ही रूप होते हैं, वहीं 'बोली' भाषा का एक ऐसा रूप होता है जो किसी छोटे क्षेत्र में बोली जाती है, और जब बोली इतना विकसित हो जाए कि वह किसी लिपि में लिखी जाने लगे, उसमें साहित्य-रचना होने लगे, और वह काफी बड़ी मात्रा में विस्तृत हो जाए, तब वह भाषा बन जाती है।
बहुत से विद्वानों का मानना है कि हिंदी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है, लेकिन यह बात सच नहीं है, आपको बता दें कि हिंदी भाषा की उत्पत्ति अपभ्रंश भाषाओं से हुई है, और अपभ्रंश की उत्पत्ति प्राकृत से हुई है, प्राकृत भाषा अपने पहले की पुरानी बोलचाल की संस्कृत से निकली हुई है।
इससे स्पष्ट होता है कि हमारे आदिम आर्यों की भाषा पुरानी संस्कृत ही थी, उनके नमूने ऋग्वेद में दिखाई देते हैं, उसका विकास होने के साथ-साथ कई प्रकार की प्राकृत भाषाएं उत्पन्न होती रही, और आपको बता दें कि हमारी विशुद्ध संस्कृत भी किसी पुरानी प्राकृत से ही परिमार्जित हुई है, प्राकृत भाषाओं के बाद अपभ्रंशौ और शौरसेनी अपभ्रंश से निकली हुई है।
हिंदी भाषा का साहित्य किसी एक विभाग और उसके साहित्य के रूप में विकसित नहीं हुआ है बल्कि वह अनेक भाषाओं और उनके साहित्यों की स्मष्टि का नेतृत्व करते हैं।
एक बहुत बड़ा क्षेत्र जिसे मध्यकाल से ही मध्येदेश कहा जाता आ रहा है, कि हिंदी भाषा अनेक बोलियों के ताने-बाने से बुनी हुई एक आधुनिक भाषा है, जिसने अनजाने और अनौपचारिक रीति से देश की ऐसी भाषा बनने के प्रयास किया जैसे पहले के समय में संस्कृत हुआ करती थी।
वर्तमान समय में 'हिंदी भाषा' बहुत ही बड़ा बन गया है, और इसको निम्नलिखित विभागों में बांटा गया है:-
(क) पूर्वी हिंदी: अर्धमाघ्दी प्राकृत के अपभ्रंश से पूर्वी हिंदी की उत्पत्ति हुई है, गौस्वामी तुलसी जी ने रामचरितमानस जैसे महाकाव्यों की रचना पूर्वी हिंदी में ही की है, दूसरी तीन बोलियां कुछ इस प्रकार हैं- बघेली, अवध, छत्तीसगढ़ी, मालिक मोहम्मद जायसी जी ने भी अपनी प्रसिद्ध रचनाओं को इसी भाषा में लिखा है।
(ख) पश्चिमी हिंदी: पश्चिमी हिंदी बाहरी और भीतरी दोनों शाखाओं की मेल से बनी हुई है, लेकिन पश्चिमी हिंदी का संबंध भीतरी शाखा से ही है।
(ग) बिहारी भाषा: बिहारी भाषा आमतौर पर बांग्ला भाषा से अधिक संबंध रखती है, यह पूर्वी भाषा के अंतर्गत आती है, और यह बांग्ला, असमी, उड़िया की बहन लगती है, इस भाषा के अंतर्गत बोलिया आती हैं- मैथिली, भोजपुरी, मगही, पूर्वी आदि, मैथिली के लोकप्रिय कवि विद्यापति ठाकुर हैं और भोजपुरी के बहुत बड़े प्रचारक भिखारी ठाकुर हुए हैं।
भाषा की उत्पत्ति 6000 साल पहले हुई थी, किन्तु वह केवल मौखिक रूप में हुई थी, और जब से इंसान कुछ चिह्नों के माध्यम से अपने भावों को लिखकर रखने लगा, तभी से भाषा के लिखित रूप की उत्पत्ति हुई थी, समय के अनुसार ये विकसित होती चली गई।
और आपको जानकारी के लिए बता दूं कि भाषा की उत्पत्ति से आशय उस काल से है जब से मानव ने बोलना आरम्भ किया और 'भाषा' सीखना आरम्भ किया, 'भाषा' शब्द संस्कृत के भाष से लिया गया है, शब्द का मतलब होता है कि बोलना या कहना।
अब भाषा के सिद्धांत के बारे में बात करते हैं, सबसे पहले बात करते हैं देवी उत्पत्ति सिद्धांत की, इसका संबंध प्राचीन मत से है, इसी सिद्धांत के अंतर्गत संस्कृत भाषा की सबसे प्राचीन व मुख्य माना गया है।
आइए दोस्तों अब बात करते हैं संगीत सिद्धांत की, इसके अनुसार संगीत में प्रयोग किए जाने वाले अक्षरों की रचना गई है, और इनके नए शब्दों का प्रयोग किया गया है।
अनुकरण सिद्धांत के अंतर्गत आस-पास की वस्तुओं का अनुकरण करके उनके नए शब्दों की उत्पत्ति की, इसी कारण इसे अनुकरण सिद्धांत कहते हैं।
विकासात्मक सिद्धांत के अंतर्गत विभिन्न कालों में विभिन्न भाषाओं का विकास होता आया है।
आज हम इस आर्टिकल में Bhasha in Hindi के बारे में अच्छे से जानेंगे और इसके ऊपर विस्तार से चर्चा करेंगे।
दोस्तों इस आर्टिकल को पढ़कर आपको बहुत ही आनंद आने वाला है, इसलिए आर्टिकल को आखिर तक ध्यान से पढ़िएगा, तो चलिए दोस्तों वक्त बर्बाद न करते हुए आर्टिकल को जल्दी से जल्दी शुरू करते हैं और देख लेते हैं कि भाषा किसे कहते हैं, bhasha kise kahte hain hindi? उम्मीद करता हूं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आएगा।
व्याकरण किसे कहते हैं?
किसी भाषा को शुद्ध तरीके से बोलना, लिखना, समझना व्याकरण कहलाता है, सभी भाषाओं का अलग प्रकार का व्याकरण होता है, जिसे सामने के बाद हम उस भाषा को बड़े ही आसान तारीक से लिख, बोल, और समझ पाते हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो हिंदी भाषा को शुद्ध रूप से बोलने और लिखने संबंधी नियमों के बोध कराने वाले शास्त्र को व्याकरण कहते हैं।
भाषा किसे कहते हैं? भाषा की परिभाषा क्या है
दोस्तों अगर आप भी भाषा (Bhasha In Hindi) जानने के इच्छुक हैं तो आपको बता दें कि भाषा एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों या विचारों को दूसरों के सामने बोलकर, लिखकर, सुनकर, या पढ़कर प्रकट करता है।
हम विचारों का आदान-प्रदान केवल भाषा के जरिए ही कर सकते हैं।
भाषा सार्थक ध्वनियों के मेल-जोल से बनती है।
भाषा का प्रयोग केवल मनुष्य ही कर सकता है, अन्य प्राणी इस बेहद ही अनमोल विशेषता से वंचित हैं।
जैसे:- मान लीजिए, आपको एक कप चाय की जरूरत है, इस भाव, इच्छा, या विचार को तीन रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
- कप या चाय की कोतली की तरफ उंगली से इशारा करके चाय मांगना।
- मौखिक ध्वनि द्वारा- कृपया मुझे एक कप चाय लाके देना।
- कागज पर लिखकर- कृपया मुझे एक कप चाय देना।
जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित या कथित रूप से समझा सकें, और दूसरों के भावों को समझ, उसे भाषा कहा जाता है।
अथवा
सरल शब्दों में: आमतौर पर मनुष्य की सार्थक व्यक्त वाणी को भाषा कहते हैं।
अथवा
डॉ श्यामसुंदरदास के अनुसार: मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति का आदान-प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि-संकेतों का जो व्यवहार होता है,उसे भाषा कहते हैं।
भाषा के कितने प्रकार होते हैं?
भाषा के तीन रूप होते हैं:-
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- सांकेतिक भाषा
मौखिक भाषा किसे कहते हैं (Oral Language)
भाषा का वह रूप जिसमे व्यक्ति अपने विचारों को बोलकर प्रकट करता है, और सामने वाला व्यक्ति उसे सुनकर समझता है, वह मौखिक भाषा कहलाती है, यानी वक्त तो अपनी बात बोलकर प्रकट करता है, और श्रोता सुनकर उसकी बात को समझता है। इसके अंतर्गत रेडियो, टेलीफोन, भाषण, वार्तालाप, नाटक आदि आते हैं।
उदाहरण: स्कूल में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, प्रतियोगिता में वक्ताओं ने अपने विचारों को बोलकर प्रकट किया, और श्रोताओं ने उन विचारों को सुनकर आनंद उठाया।
यह भाषा का सबसे प्राचीनतम रूप माना जाता है, और मौखिक भाषा की प्रमुख विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-
(1) मौखिक भाषा उच्चरित होने के साथ ही समाप्त हो जाती है।
(2) इस भाषा की मूल इकाई 'ध्वनि' है, अलग-अलग ध्वनियों के संयोग से शब्द बनते हैं, जिनका प्रयोग वाक्यों में वार्तालाप के खातिर किया जाता है।
(3) इस भाषा का प्रयोग तभी होता है जब वक्ता और श्रोता एक दूसरे के सामने हों।
(4) मौखिक भाषा को भाषा का मूल या प्रधान रूप भी कहा जाता है।
(5) यह भाषा का अस्थायी रूप होता है।
लिखित भाषा किसे कहते हैं (Written Language)
भाषा के जिस माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों को लिखकर प्रकट करता है, और दूसरे लोग इन्हें पढ़कर समझते हैं, वह लिखित भाषा कहलाती है, इस भाषा को समझने के लिए पढ़ना-लिखना आना चाहिए, हम आमतौर पर इस भाषा का प्रयोग पढ़ने-लिखने या कोई खत (पत्र) लिखने के लिए करते हैं, इसके अंतर्गत- पत्र, लेखिका, कहानी, समाचार-पत्र, जीवनी, संस्मरण आदि आते हैं।
उदाहरण: राहुल एक कॉलेज विद्यार्थी है और वह छात्रावास में रहता है, उसने अपने माता-पिता को पत्र लिखकर अपनी कुशलता आवश्यकताओं की जानकारी दी, फिर माता-पिता ने पत्र पढ़कर अपने बेटे द्वारा भेजी गई जानकारी को प्राप्त किया, यह भाषा का लिखित रूप होता है।
लिखित भाषा की प्रमुख विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-
(1) यह भाषा का गौण और स्थायी रूप है।
(2) यह भाषा का एक ऐसा रूप है जिसमें हम अपने विचारों को अनंत काल तक सुरक्षित रख सकते हैं।
(3) भाषा के इस रूप में यह जरूरी नहीं होता कि वक्ता और श्रोता एक दूसरे के आमने सामने हो।
(4) लिखित भाषा की मूल इकाई 'वर्ण' है।
अगर किसी व्यक्ति को पढ़ना-लिखना नहीं आता है (लिखित भाषा के रूप में) फिर भी हम यह नहीं कह सकते हैं कि उसे वह भाषा नहीं आती है।
और अगर किसी व्यक्ति को कोई भाषा की जानकारी है, इसका मतलब होता है कि वह उस भाषा को सुनकर समझ सकता है, और बोल कर अपनी बात को सामने वाले के प्रति प्रकट कर सकता है।
सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं (Symbolic Language)
भाषा के जिस माध्यम से हम अपने विचारों को इशारों (संकेतों) के जरिए दूसरे व्यक्ति के सामने प्रकट करते हैं, उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं, इस भाषा का प्रयोग उन लोगों के द्वारा किया जाता है जब बोल और सुन नहीं सकते हैं, सांकेतिक भाषा सर्वग्राह्य भाषा नहीं है, इसलिए व्याकरण में इसका अध्ययन भी नहीं किया जाता है।
अथवा
उदाहरण: सड़क पर यातायात नियंत्रित कर रहा सिपाही, मूक-बधिर व्यक्तियों की बातचीत।
बोली और भाषा में क्या अंतर है?
बोली और भाषा में यही अंतर होता है की 'भाषा' का क्षेत्र व्यापक होता है, भाषा मैं मौखिक और लिखित दोनों ही रूप होते हैं, वहीं 'बोली' भाषा का एक ऐसा रूप होता है जो किसी छोटे क्षेत्र में बोली जाती है, और जब बोली इतना विकसित हो जाए कि वह किसी लिपि में लिखी जाने लगे, उसमें साहित्य-रचना होने लगे, और वह काफी बड़ी मात्रा में विस्तृत हो जाए, तब वह भाषा बन जाती है।
हिंदी भाषा | Hindi Bhasha
बहुत से विद्वानों का मानना है कि हिंदी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है, लेकिन यह बात सच नहीं है, आपको बता दें कि हिंदी भाषा की उत्पत्ति अपभ्रंश भाषाओं से हुई है, और अपभ्रंश की उत्पत्ति प्राकृत से हुई है, प्राकृत भाषा अपने पहले की पुरानी बोलचाल की संस्कृत से निकली हुई है।
इससे स्पष्ट होता है कि हमारे आदिम आर्यों की भाषा पुरानी संस्कृत ही थी, उनके नमूने ऋग्वेद में दिखाई देते हैं, उसका विकास होने के साथ-साथ कई प्रकार की प्राकृत भाषाएं उत्पन्न होती रही, और आपको बता दें कि हमारी विशुद्ध संस्कृत भी किसी पुरानी प्राकृत से ही परिमार्जित हुई है, प्राकृत भाषाओं के बाद अपभ्रंशौ और शौरसेनी अपभ्रंश से निकली हुई है।
हिंदी भाषा का साहित्य किसी एक विभाग और उसके साहित्य के रूप में विकसित नहीं हुआ है बल्कि वह अनेक भाषाओं और उनके साहित्यों की स्मष्टि का नेतृत्व करते हैं।
एक बहुत बड़ा क्षेत्र जिसे मध्यकाल से ही मध्येदेश कहा जाता आ रहा है, कि हिंदी भाषा अनेक बोलियों के ताने-बाने से बुनी हुई एक आधुनिक भाषा है, जिसने अनजाने और अनौपचारिक रीति से देश की ऐसी भाषा बनने के प्रयास किया जैसे पहले के समय में संस्कृत हुआ करती थी।
वर्तमान समय में 'हिंदी भाषा' बहुत ही बड़ा बन गया है, और इसको निम्नलिखित विभागों में बांटा गया है:-
(क) पूर्वी हिंदी: अर्धमाघ्दी प्राकृत के अपभ्रंश से पूर्वी हिंदी की उत्पत्ति हुई है, गौस्वामी तुलसी जी ने रामचरितमानस जैसे महाकाव्यों की रचना पूर्वी हिंदी में ही की है, दूसरी तीन बोलियां कुछ इस प्रकार हैं- बघेली, अवध, छत्तीसगढ़ी, मालिक मोहम्मद जायसी जी ने भी अपनी प्रसिद्ध रचनाओं को इसी भाषा में लिखा है।
(ख) पश्चिमी हिंदी: पश्चिमी हिंदी बाहरी और भीतरी दोनों शाखाओं की मेल से बनी हुई है, लेकिन पश्चिमी हिंदी का संबंध भीतरी शाखा से ही है।
(ग) बिहारी भाषा: बिहारी भाषा आमतौर पर बांग्ला भाषा से अधिक संबंध रखती है, यह पूर्वी भाषा के अंतर्गत आती है, और यह बांग्ला, असमी, उड़िया की बहन लगती है, इस भाषा के अंतर्गत बोलिया आती हैं- मैथिली, भोजपुरी, मगही, पूर्वी आदि, मैथिली के लोकप्रिय कवि विद्यापति ठाकुर हैं और भोजपुरी के बहुत बड़े प्रचारक भिखारी ठाकुर हुए हैं।
दोस्तों भाषा की उत्पत्ति कब हुई? भाषा की उत्पत्ति के सिद्धांत?
भाषा की उत्पत्ति 6000 साल पहले हुई थी, किन्तु वह केवल मौखिक रूप में हुई थी, और जब से इंसान कुछ चिह्नों के माध्यम से अपने भावों को लिखकर रखने लगा, तभी से भाषा के लिखित रूप की उत्पत्ति हुई थी, समय के अनुसार ये विकसित होती चली गई।
और आपको जानकारी के लिए बता दूं कि भाषा की उत्पत्ति से आशय उस काल से है जब से मानव ने बोलना आरम्भ किया और 'भाषा' सीखना आरम्भ किया, 'भाषा' शब्द संस्कृत के भाष से लिया गया है, शब्द का मतलब होता है कि बोलना या कहना।
अब भाषा के सिद्धांत के बारे में बात करते हैं, सबसे पहले बात करते हैं देवी उत्पत्ति सिद्धांत की, इसका संबंध प्राचीन मत से है, इसी सिद्धांत के अंतर्गत संस्कृत भाषा की सबसे प्राचीन व मुख्य माना गया है।
आइए दोस्तों अब बात करते हैं संगीत सिद्धांत की, इसके अनुसार संगीत में प्रयोग किए जाने वाले अक्षरों की रचना गई है, और इनके नए शब्दों का प्रयोग किया गया है।
अनुकरण सिद्धांत के अंतर्गत आस-पास की वस्तुओं का अनुकरण करके उनके नए शब्दों की उत्पत्ति की, इसी कारण इसे अनुकरण सिद्धांत कहते हैं।
विकासात्मक सिद्धांत के अंतर्गत विभिन्न कालों में विभिन्न भाषाओं का विकास होता आया है।
वीडियो में जाने भाषा किसी कहते हैं?
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दोस्तों हमारा हमेशा यही प्रयास रहता है कि हम आपके सामने संपूर्ण और सही जानकारी विस्तार पूर्वक तरीके से पेश करें, और आप जो जानकारी हम से जानना चाहते हैं वह जानकारी आपको प्राप्त हो सके।
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आशा करता हूं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा, और इसमें दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।
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